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कुंडली के अष्टम भाव में सूर्य का प्रभाव

कुंडली के अष्टम भाव में सूर्य का प्रभाव


1) कुंडली के अष्टम भाव में सूर्य के प्रभाव को जानने से पहले हम सूर्य और अष्टम भाव के कारकत्व को जान लेते हैं।


2) अष्टम भाव मृत्यु से संबंधित भाव होता है, अतः सूर्य अष्टम भाव में जातक के मध्यम आयु की ओर इशारा करता है। यदि सूर्य अष्टम भाव में बली हो और सुस्थित हो तो यह जातक को दीर्घायु बनाता है, लेकिन यदि सूर्य अष्टम भाव में पीड़ित हो और निर्बल हो तब यह जातक के मध्यम आयु का स्पष्ट रूप से संकेत देता है।


3) जैसा कि हम जानते हैं अष्टम स्थान दुःस्थान है और कोई भी ग्रह अष्टम भाव में अपनी नैसर्गिक कार्य को की हानि करता है। सूर्य स्वास्थ्य का कारक ग्रह है अतः अष्टम भाव में स्थित सूर्य जातक की कमजोर स्वास्थ्य का कारण हो सकता है। जातक नाना प्रकार की बीमारियों से पीड़ित रह सकता है। अगर सूर्य बली हो तो बुरे प्रभाव कम हो सकते हैं।


4) सूर्य मस्तिष्क का कारक ग्रह है, यदि सूर्य अष्टम भाव में पीड़ित हो तो जातक को सिर में या मस्तिष्क में चोट लग सकती है या उससे संबंधित समस्या से पीड़ित रह सकता है।


5) सूर्य नेत्र ज्योति का कारक ग्रह है, अतः अष्टम भाव में स्थित सूर्य जातक की आंखों की रोशनी में समस्या दे सकता है। वास्तव में यह सूर्य के बल और उसकी स्थिति पर निर्भर करेगा। अगर सूर्य अष्टम भाव में बुरी तरह से पीड़ित हो तो जातक को आंखों से संबंधित गंभीर समस्या दे सकता है।


6)सूर्य अष्टम भाव में स्थित हो तो यह जातक को अपनी मृत्यु से संबंधित भय देता है। यदि सूर्य अष्टम भाव में बहुत बली हो तो जातक को किसी भी प्रकार का भय नहीं होता है।


7) अष्टम भाव सट्टेबाजी से संबंधित भाव होता है यदि सूर्य अष्टम भाव में स्थित होकर 11वीं भाव से संबंध बना बनाए स्थापित करें तो जातक सट्टेबाजी से धन कमा सकता है। जैसा कि हम जानते हैं कि सूर्य आधुनिक तकनीक का कारक है अतः जातक आधुनिक तकनीक से संबंधित सट्टेबाजी करेगा जैसे शेयर बाजार इत्यादि।


8) अष्टम भाव में स्थित सूर्य द्वितीय भाव पर दृष्टि डालता है, यह द्वितीय भाव को भी प्रभावित करने में सक्षम है। जैसा कि हम जानते हैं कि सूर्य नैसर्गिक पापी ग्रह है अतः जातक अपने परिवार से अलगाव का सामना करेगा या जातक के परिवार में सदस्यों की संख्या कम होगी जातक को अल्प संतान और ज्यादातर संतान पुत्र होंगे।


9) अष्टम भाव में स्थित सूर्य जातक का झुकाव नशा या दारू की ओर दे सकता है खासकर यदि अष्टम भाव का सूर्य चंद्रमा या राहु से संबंध स्थापित करें।


10) अष्टम भाव में स्थित सूर्य जातक को धन से संबंधित समस्या दे सकता है । जातक फाइनेंशियल अस्थिरता का सामना कर सकता है । जातक को स्त्री से धन का नुकसान हो सकता है। जातक पैतृक संपत्ति प्राप्त करेगा । जातक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी हो सकता है, उसकी वाणी आकर्षक हो सकती है। वह एक रॉयल जीवन जीने की जीने के लिए उत्सुक हो सकता है । यदि सूर्य अष्टम भाव में नीच हो या बुरी तरह पीड़ित हो तो जातक को अपना पैतृक निवास छोड़कर विदेश जाना पड़ सकता है।

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