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कुंडली के नवम भाव में गुरु का प्रभाव

कुंडली के नवम भाव में गुरु का प्रभाव


1) कुंडली के नवम भाव में गुरु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम नवम भाव और गुरु के कारक के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे।


2) गुरु एक नैसर्गिक शुभ ग्रह है और नवम भाव एक बहुत ही शुभ भाव है। अतः नवम भाव में स्थित गुरु को जातक के लिए अत्यंत ही शुभ माना जाता है। काल पुरुष की कुंडली में भी नवम भाव का स्वामी गुरु ही है, अतः यह भी एक शुभ स्थिति है की कुंडली के सर्वोत्तम धर्म त्रिकोण में धर्म का कारक गुरु स्थित हो।


3) नवम भाव को भाग्य स्थान माना जाता है और गुरु भाग्य का कारक ग्रह है। अतः नवम भाव में स्थित गुरु जातक को भाग्यशाली बनाता है। जातक को सभी प्रकार के शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक सुख मिलेंगे। जातक धनवान होगा साथ ही वह धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्ति होगा।


4) नवम भाव पिता से संबंधित भाव है, अतः नवम भाव में स्थित गुरु जातक और पिता के बीच अच्छे संबंध स्थापित करता है। जातक के पिता दयालु और आदरणीय व्यक्ति होंगे। जातक के पिता को सभी प्रकार के सांसारिक सुख उपलब्ध होंगे। जातक अपने पिता या गुरु का आदर करेगा और वह अपने पिता का आज्ञाकारी पुत्र होगा।


5) नवम भाव धर्म से संबंधित भाव है और गुरु धर्म का कारक ग्रह है। अतः नवम भाव में स्थित गुरु जातक को धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति बनाएगा। जातक धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन की व्यवस्था करेगा। जातक को धर्म से संबंधित अच्छी जानकारी होगी। जातक धार्मिक यात्रा पर जाएगा। जातक समाज में एक धर्मगुरु के समान आदर पाएगा।


6) नवम भाव में स्थित गुरु प्रथम स्थान पर अपनी पूर्ण दृष्टि डालता है। अतः नैसर्गिक शुभ ग्रह के रूप में गुरु की दृष्टि जातक के लग्न को बल देती है। जातक उत्तम स्वास्थ्य और उत्तम स्वभाव वाला व्यक्ति होगा। साथ ही यह कुंडली के अरिष्ट दोषों का नाश भी करता है।


7)गुरु को संतान का कारक ग्रह माना गया है। नवम भाव में स्थित गुरु जातक के संतान के लिए शुभ होता है। जातक को उत्तम संतान और कई संतानों का सुख प्राप्त होगा। जातक के पुत्र भाग्यशाली और सभी प्रकार के सांसारिक सुख को प्राप्त करेंगे।


8)गुरु को ज्ञान का कारक ग्रह माना जाता है और नवम भाव उच्चतर शिक्षा का कारक भाव है। अतः नवम भाव में स्थित गुरु, जातक को उच्चतम शिक्षा देगा। जातक वेद वेदांग और इसी प्रकार के अन्य शास्त्रों की उत्तम जानकारी रखने वाला व्यक्ति होगा। जातक एक ज्ञानवान व्यक्ति होगा।


9)नवम भाव गुरु या शिक्षक से संबंधित होता है, नवम भाव में स्थित गुरु के कारण जातक के पास अच्छा ज्ञान और जानकारी होती है। जातक दयालु प्रवृत्ति का और उत्तम वक्ता हो सकता है। जातक एक अच्छा शिक्षक बनने में सक्षम होता है। जातक धार्मिक कथावाचक या धार्मिक शिक्षक भी हो सकता है।


10) नवम भाव को पंचम भाव का भावत भावम भाव भी माना जाता है, अतः पंचम भाव के समान नवम भाव में स्थित गुरु भी जातक को मंत्री पद या मंत्री पद के समान पदवी दिलाने में सक्षम है। जातक एक अच्छा सलाहकार हो सकता है। जातक राजा सरकार या उच्च पदाधिकारियों के साथ अच्छे संबंध रखता होगा और वह उनका एक अच्छा सलाहकार भी हो सकता है।


11) नवम भाव को प्रसिद्धि का कारक भाव माना जाता है। नवम भाव में स्थित गुरु के कारण जातक अपनी बुद्धि, ज्ञान और विद्वता के दम पर प्रसिद्ध होगा। जातक अपने धार्मिक क्रियाकलापों के कारण भी प्रसिद्ध हो सकता है।


12) नवम भाव में स्थित गुरु जातक के तृतीय भाव पर भी पूर्ण दृष्टि डालता है, अतः जातक के अपने भाइयों के साथ उत्तम संबंध होंगे। जैसा कि हमने पहले पढ़ा कि जातक के अपने पिता और संतान से संबंध भी अच्छे होंगे। अतः हम यह कह सकते हैं कि नवम भाव में स्थित गुरु के कारण जातक अपने परिवार में एक आदरणीय व्यक्ति होगा और जातक के अपने परिवार के सदस्यों के साथ उत्तम संबंध होंगे।

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