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कुंडली के नवम भाव में केतु का प्रभाव

कुंडली के नवम भाव में केतु का प्रभाव

1) कुंडली के नवम भाव में केतु के प्रभाव को जानने के लिए सर्वप्रथम हम नवम भाव और केतु के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) नवम भाव को पिता का कारक भाव माना जाता है। केतु एक पापी ग्रह है, अतः नवम भाव में स्थित केतु जातक के पिता के लिए अरिष्ठ कारक होता है। नवम भाव में स्थित केतु जातक और जातक के पिता के बीच संबंधों के लिए उत्तम नहीं माना जा सकता है। जातक अपने पिता के सम्मान को ठेस पहुंचा सकता है। जातक और जातक के पिता के बीच अलगाव की भी संभावना होती है। जातक अपने पिता से दूर या दूसरे स्थान पर रह सकता है। यदि नवम भाव में स्थित केतु शुभ स्थिति में हो तब जातक के पिता धार्मिक विचारों वाले व्यक्ति या मंदिर के पुजारी हो सकते हैं।

3) नवम भाव से धर्म स्थान माना जाता है। केतु अध्यात्म का नैसर्गिक कारक है, अतः नवम भाव में स्थित केतु के कारण जातक एक आध्यात्मिक व्यक्ति हो सकता है। जातक धर्म के द्वारा अध्यात्म के उच्चतम शिखर पर पहुंचने में सफल हो सकता है। जातक मंत्र शक्ति, तंत्र शक्ति को प्राप्त करने में सक्षम हो सकता है या जातक को तंत्र या मंत्र में नैसर्गिक रूप से झुकाव रह सकता है। यदि नवम भाव में स्थित केतु शुभ स्थिति में ना हो तब जातक नास्तिक हो सकता है। जातक धर्म के नाम पर बुरे कर्मों में या नीच कर्मों में लिख रह सकता है।

4) नवम भाव को भाग्य का कारक स्थान माना गया है। केतु एक पापी ग्रह है, अतः सामान्यतः नवम भाव में स्थित केतू भाग्य के लिए उत्तम नहीं माना जा सकता है। परंतु यदि नवम भाव में स्थित केतू शुभ स्थिति में हो तब जातक भाग्यशाली व्यक्ति होता है। जातक को सारी प्रकार के सुख समृद्धि प्राप्त होते हैं। पर जैसा कि हम जानते हैं कि केतु सांसारिक मोह माया से मुक्ति का कारक है, अतः नवम भाव में स्थित केतु के कारण जातक मोह माया या सामाजिक बंधनों से दूर रहने का प्रयास कर सकता है।

5) नवम भाव में स्थित केतु के कारण जातक जनता पर अपनी वाणी के द्वारा उत्तम प्रभाव छोड़ता है। लेकिन जातक जनता को मंत्रमुग्ध कर के छल करने में माहिर हो सकता है।

6) नवम भाव पंचम भाव का भावत भावम भाव है। नवम भाव में स्थित केतु के कारण जातक पैनिक स्वभाव का, गर्म मिजाज का, जल्दी गुस्सा करने वाला हो सकता है। जातक अहंकारी व्यक्ति होगा। जातक हमेशा दिखावा करने में आगे होगा।

7)नवम भाव में स्थित जीतू के कारण जातक की लंबी यात्राएं संभावित हो सकती है। जातक के विदेश यात्रा के भी संभावना बन सकता है। पंचम भाव में स्थित केतु के कारण जातक कंजूस प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। जातक अपने धन को संचित करने में लगा रह सकता है।नवम भाव में स्थित केतु जातक के भाई बहनों के लिए शुभ नहीं होता है ।जातक के अपने छोटे भाई बहनों से संबंध उत्तम नहीं होते हैं।

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