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कुंडली के प्रथम भाव में लग्नेश का प्रभाव

कुंडली के प्रथम भाव में लग्नेश का प्रभाव

1) कुंडली के प्रथम भाव में लग्नेश का प्रभाव जानने से पहले हम प्रथम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) प्रथम भाव को लग्न भाव के रूप में भी जाना जाता है और प्रथम भाव के स्वामी को लग्नेश करते हैं। कुंडली में लग्न हमारा प्राण होता है अतः इस प्रकार से लग्नेश हमारा प्राणेश है। प्रथम भाव का स्वामी प्रथम भाव में स्थित होने से प्रथम भाव को बल प्राप्त होता है। अतः हम कह सकते हैं कि जातक के प्राण को बल प्राप्त हुआ अर्थात जातक दीर्घायु होगा। यदि प्रथम भाव में स्थित लग्नेश के साथ नैसर्गिक शुभ ग्रह संबंध बनाए तब यह जातक के आयु को और अधिक बल देता है। लेकिन यदि प्रथम भाव में स्थित लग्नेश के साथ नैसर्गिक पापी ग्रह संबंध बनाए तब जाते आयु पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

3) प्रथम भाव में स्थित लग्नेश को शुभ माना जाता है जातक निडर और बहादुर प्रवृत्ति का व्यक्ति होगा। जातक आत्मविश्वास से भरपूर व्यक्ति होगा। जातक अहंकारी या अहम भी परिपूर्ण व्यक्ति हो सकता है। जातक आसानी से दूसरों से प्रभावित नहीं होगा। जातक के विचारों के अनुसार जातक हर परिस्थिति में सही होता है और उसकी यही भावना उसको दूसरों के विचारों को ग्रहण करने से रोकती है। जातक किसी की सहायता लेना पसंद नहीं करता है। जातक अपने मन का मालिक होता है। जातक किसी दूसरे के द्वारा शासित होना पसंद नहीं करता है। कुल मिलाकर अगर हम बोले तो कह सकते हैं कि जातक के स्वतंत्र विचार और स्वतंत्रता पसंद व्यक्ति होगा।

4) जातक भाग्यशाली व्यक्ति होगा। जातक प्रसिद्ध होगा। जातक की प्रसिद्ध का स्तर जातक के कुंडली पर निर्भर करेगा। जातक सक्रिय और कड़ी मेहनत करने वाला व्यक्ति होगा। जातक जीवन में अपनी मेहनत के दम पर और अपने प्रयासों के बल पर सफलता प्राप्त करेगा। जातक का जीवन घटनाक्रम से परिपूर्ण होगा। जातक को इस जीवन में बहुत सारे कर्म करने होंगे।

5)लग्नेश के प्रथम भाव में स्थित होने के कारण जातक आकर्षक व्यक्तित्व का व्यक्ति होता है। जातक उत्तम चरित्र का व्यक्ति होता है। जातक के विचार उच्च होंगे। जातक दूसरों की सहायता करने वाला व्यक्ति होगा। जातक धनी होगा। जातक का स्वास्थ्य उत्तम होगा और जातक बुद्धिमान व्यक्ति होगा। जैसा कि हम जानते हैं कि प्रथम भाव जातक के स्वाभव से संबंधित होता है, अतः प्रथम भाव में स्थित लग्नेश यदि शुभ ग्रह के साथ संबंध बनाए तब जातक मृदु स्वभाव का व्यक्ति हो सकता है। लेकिन यदि पाप ग्रह से संबंध बनाएं तब जातक क्रूर प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है।

6) प्रथम भाव में स्थित लग्नेश यदि षष्ठेश के साथ संबंध बनाएं तब यह जातक के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। जातक का स्वास्थ्य उत्तम नहीं होगा। यदि प्रथम भाव में स्थित लग्नेश त्रिकोण के स्वामियों के साथ संबंध स्थापित करें तब जातक भाग्यशाली, धनी, और समृद्ध व्यक्ति होगा। जातक दीर्घायु होगा। जातक ह्रदय से दयालु और धार्मिक प्रवृत्ति का होगा। यदि लग्नेश सप्तम भाव के साथ युति बनाएं तब जातक अहम से परिपूर्ण और स्व केंद्रित व्यक्ति होगा। जातक स्वयं से अत्यधिक लगाव रखेगा और सिर्फ और सिर्फ स्वयं के बारे में विचार करने वाला व्यक्ति होगा। जातक हमेशा खुद की बड़ाई करने में लगा रहता होगा। जातक अकेले रहना पसंद करेगा।

7) कुंडली के प्रथम भाव में स्थित लग्नेश, यदि सूर्य से संबंधित हो तब जातक शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति होता है। जातक में उत्तम नेतृत्व की क्षमता होती है। यदि चंद्रमा के साथ संबंध बनाएं जातक आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक होता है। जातक की याददाश्त उत्तम होती है। जातक अपने पर्सनालिटी और अपने खुद के स्वभाव के दम पर उत्तम धन अर्जित करता है। प्रथम भाव में स्थित लग्नेश मंगल के साथ संबंध बनाए, तब जातक बहादुर और निडर प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक स्वाभिमानी व्यक्ति होता है। जातक उत्तम संपत्ति अर्जित करता है। जातक जीवन में अपनी खुद की मेहनत के दम पर सफलता प्राप्त करता है। प्रथम भाव में स्थित लग्नेश यदि बुध के साथ संबंध स्थापित करें तब जातक आकर्षक और चतुर व्यक्ति होता है। जातक की तर्कशक्ति उत्तम होती है। प्रथम भाव में स्थित लग्नेश यदि गुरु के साथ संबंध स्थापित करें तब जातक बुद्धिमान और भाग्यशाली होता है। साथ ही प्रथम भाव में स्थित गुरु लग्नेश के साथ संबंध स्थापित करने के कारण शुभ माना जाता है। प्रथम भाव में स्थित लग्नेश शुक्र के साथ संबंध स्थापित करता है तब जातक दिखने में आकर्षक और स्त्रियों का प्रिय होता है। जातक लग्जरियस लाइफ स्टाइल वाला जीवन जीना पसंद करता है। प्रथम भाव में स्थित यदि शनि के साथ संबंध स्थापित करता है तो जातक कुरुप हो सकता है और जातक का भाग्य जातक के साथ नहीं देता है। जातक के जीवन में सफलता मध्यम आयु में प्राप्त होती है। यदि शनि शुभ हो तब जातक दीर्घायु होता है और भाग्यशाली होता है। प्रथम भाव में स्थित लग्नेश से यदि राहु के साथ संबंध स्थापित करें तब जातक स्मार्ट व्यक्ति होता है और जातक विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित रह सकता है। प्रथम भाव में स्थित केतु के कारण जातक हिंसक प्रवृत्ति का हो सकता है।

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