Astro Pankaj Seth

कुंडली के द्वितीय भाव में तृतीयेश का प्रभाव

कुंडली के द्वितीय भाव में तृतीयेश का प्रभाव

1) कुंडली के द्वितीय भाव में तृतीयेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम द्वितीय भाव और तृतीय भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। तृतीय भाव का स्वामी स्वयं के भाव से बारहवें भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का बारहवें भाव में क्या फल होता है के बारे में भी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

2) तृतीय भाव अनुज से संबंधित होता है और तृतीय भाव का स्वामी द्वितीय भाव में स्थित है जो धन से संबंधित होता है। अतः हम कह सकते हैं कि जातक अपनी भाई की सहायता से धन अर्जित करेगा या जातक के अनुज जातक को धन अर्जित करने में या व्यापार में सहायता करेंगे।

3)तृतीय भाव अनुज से संबंधित होता है और इसका स्वामी स्वयं के भाव से बारहवें भाव में स्थित है। यह जातक की अनुज के स्वास्थ्य के लिए उत्तम नहीं माना जा सकता है। जातक को अपने भाइयों से अलगाव का सामना करना पड़ सकता है या जातक के भाई जातक से अलग किसी दूसरे स्थान पर निवास कर सकते हैं।

This image has an empty alt attribute; its file name is wpid-picsart_1443329947348.png

4) तृतीय भाव जातक की शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता से संबंधित होता है और इसका स्वामी स्वयं के भाव से बारहवें भाव में स्थित है। अतः हम कह सकते हैं कि यह जातक की शारीरिक और मानसिक क्षमता के लिए उत्तम नहीं है। जातक अपनी क्षमता का व्यय कर देगा। जातक अपनी क्षमता का सही उपयोग नहीं कर सकता है। कभी-कभी तो जातक को अपनी क्षमता पर यकीन ही नहीं होगा या अपनी क्षमता को लेकर कंफ्यूज रह सकता है।

5) द्वितीय भाव धन से संबंधित होता है, तृतीय भाव द्वितीय भाव से द्वितीय है। तृतीय भाव द्वितीय भाव के लिए भावत भावम भाव है। जब द्वितीय भाव में तृतीय भाव का स्वामी स्थित हो तब यह द्वितीय भाव के नैसर्गिक कारक के लिए शुभ माना जा सकता है। अतः जातक के धन के लिए यह उत्तम होगा और जातक धनी और समृद्ध व्यक्ति होगा। लेकिन द्वितीय भाव और तृतीय भाव एक दूसरे से द्वि- द्वादश संबंध बनाते हैं। अतः जातक के खर्चे भी अच्छे खासे होंगे।

6) तृतीय भाव दुः स्थान है, अतः तृतीय भाव का स्वामी द्वितीय भाव में पारिवारिक जिंदगी के लिए और फैमिली के लिए उत्तम नहीं माना जा सकता है। यह जातक के पारिवारिक जिंदगी में तनाव कारण हो सकता है।

7) तृतीय भाव काम कोणा भी होता है और तृतीय भाव का स्वामी द्वितीय भाव में स्थित है, अतः हम कह सकते हैं कि जातक अपने धन का व्यय अनैतिक कार्यों में कर सकता है। जातक अपने धन का व्यय स्त्रियों के ऊपर और इनसे संबंधित कार्यों में कर सकता है। जातक अपनी धन का उपयोग अपनी इच्छा पूर्ति में भी कर सकता है।

8) तृतीय भाव का स्वामी द्वितीय भाव के स्वामी के साथ द्वितीय भाव में स्थित हो तब यह जातक की धन के लिए उत्तम योग बनाता है। जातक के भाई धनी और समृद्ध होंगे। जातक में नैसर्गिक रूप से कलाकार वाले गुण हो सकते हैं क्योंकि द्वितीय भाव यानी वाणी का भाव तृतीय भाव यानी संवाद का भाव एक दूसरे से युति में है, अतः जातक एक अच्छा लेखक, एक अच्छा म्यूजिशियन, एक अच्छा स्पीकर, एक अच्छा कवि या एक अच्छा गायक हो सकता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *