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कुंडली के द्वादश भाव में तृतीयेश का प्रभाव

कुंडली के द्वादश भाव में तृतीयेश का प्रभाव

1) कुंडली के द्वादश भाव में तृतीयेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम तृतीय भाव और द्वादश भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। तृतीय भाव का स्वामी स्वयं के भाव से दशम स्थान में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का दशम भाव में क्या फल होगा, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) तृतीय भाव स्वंय की क्षमता और आत्मविश्वास से संबंधित होता है। तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो, तब जातक में आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। जातक को अपनी क्षमता पर भरोसा नहीं हो सकता है या जातक अपनी क्षमता को बेवजह के कार्यों में बर्बाद कर देता होगा।

3) तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक की शारीरिक क्षमता कम होती है। अतः जातक में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो सकती है। जातक बीमारी से ग्रसित रह सकता है। यदि तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव में बुरी तरह पीड़ित हो तब जातक गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकता है और इसके कारण जातक को अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ सकता है।

4) तृतीय भाव कानों से संबंधित होता है। तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तो जातक को काम से संबंधित समस्या हो सकती है।

5) तृतीय भाव चतुर्थ भाव से द्वादश भाव है, अतः मातृभूमि से दूर स्थित जगह को दर्शाता है। द्वादश भाव विदेशी भूमि से संबंधित होता है, अतः तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक विदेश में निवास कर सकता है या जातक की विदेश यात्रा संभव होती है। द्वादश भाव दशम भाव से तृतीय भाव है अतः ऐसा संभव है कि जातक अपने प्रोफेशन के लिए विदेश यात्रा करें। जातक अपने जीवन में स्वयं की मेहनत के दम पर विदेश मे सफलता प्राप्त करेगा।

6) तृतीय भाव चतुर्थ भाव से द्वादश होने के कारण मन के कल्पना को दर्शाता है या हम कह सकते हैं कि यह स्वप्न का भी कारक हो सकता है। द्वादश भाव स्वप्न का नैसर्गिक कारक है। तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक स्वप्नलोक में निवास करने वाला व्यक्ति हो सकता है। यदि तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव में पीड़ित हो तब जातक बुरे सपने से पीड़ित रह सकता है। अनिद्रा जैसी समस्या हो सकती है।

7) द्वादश भाव में स्थित तृतीयेश के कारण जातक शादी के बाद भाग्यशाली हो सकता है।

8) तृतीय भाव छोटा भाई से संबंधित होता है। तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक का छोटा भाई विदेश में निवास कर सकता है। जातक के छोटा भाई का स्वभाव क्रूर प्रवृत्ति का हो सकता है। यदि तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव में पीड़ित हो तब जातक के भाई को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है। यदि तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव में शुभ स्थिति में हो और उत्तम स्थिति में हो तब जातक का छोटा भाई जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त करेगा और जातक के छोटे भाई को विदेश में अच्छा नेम और फेम प्राप्त होगा।

9) तृतीय भाव काम त्रिकोण होता है। द्वादश भाव शैया सुख से संबंधित होता है। यदि तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक अपनी काम ऊर्जा को अनुचित कार्य द्वारा नष्ट कर देता है।

10) तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक अपने कार्यों के द्वारा या अपने कर्मों के कारण गरीब हो सकता है। जातक मानसिक परेशानी का सामना करता है। जातक अपने जीवन में अनेकों उतार-चढ़ाव देखता है।

11) तृतीय भाव का स्वामी द्वादश भाव के स्वामी के साथ द्वादश भाव में स्थित हो तब, जातक कई बार अपने पास आने वाले अवसर को मिस कर देता है। जातक अपनी मातृभूमि से दूर स्थित किसी स्थान पर निवास कर सकता है। जातक अपने शत्रु से भय खाता है। यदि तृतीय भाव का स्वामी कमजोर हो तब जातक के भाई को गंभीर स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है। जातक अपनी संपत्ति को बेच सकता है या बंधक रख सकता है। जातक अपमान का सामना कर सकता है।

2 thoughts on “कुंडली के द्वादश भाव में तृतीयेश का प्रभाव”

  1. PARMANAND MAKHIJA

    Hello Sir! Very nice article! and somewhere I had read about if 3rd Lord will be in 12th house- person may get problem with right hand—and eventually in the family can get some one who is left-handed (one or more than one person)

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