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कुंडली के प्रथम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

कुंडली के प्रथम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

1)कुंडली के प्रथम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम प्रथम भाव और चतुर्थ भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं के भाव से दशम स्थान में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का दशम भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) चतुर्थ भाव सुख का कारक भाव है, प्रथम भाव जातक से संबंधित होते हैं। प्रथम भाव में स्थित चतुर्थेश जातक को सभी प्रकार की सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध कराता है, अर्थात जातक सुख में जीवन व्यतीत करेगा।

3) प्रथम भाव जातक के जन्म से संबंधित होता है। चतुर्थ भाव सभी प्रकार की सुख-सुविधा के साधन से संबंधित होते हैं। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी प्रथम भाव में स्थित हो, तब जातक ऐसे परिवार में जन्म लेता है जहां पर उसके लिए सारे सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध हो अर्थात हम कह सकते हैं जातक ऐसे परिवार में जन्म लेता है जो धनी और समृद्ध हो। जातक की परिवारिक और आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। जातक को सभी प्रकार के सुख के साधन उपलब्ध होते हैं और जातक आरामदेह जीवन व्यतीत करता है।

4) चतुर्थ भाव घर से संबंधित है। चतुर्थ भाव का स्वामी प्रथम भाव में स्थित हो तब जातक को अपना स्वयं का घर होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी प्रथम भाव में उत्तम स्थिति में हो तब जातक का घर बहुत ही बड़ा और सभी प्रकार के सुख-सुविधा के साधन से परिपूर्ण होता है। जातक के सुविधा के लिए नौकर चाकर और अन्य प्रकार की सुविधा उपलब्ध होता है। जातक खेती बाड़ी की जमीन और अच्छी प्रॉपर्टी अर्जित करता है। जातक प्रॉपर्टी के द्वारा धन अर्जन भी कर सकते है।

5) चतुर्थ भाव वाहन से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी प्रथम भाव में स्थित हो तब जातक को स्वयं का वाहन होता है या जातक को वाहन का सुख प्राप्त होता है।

6) चतुर्थ भाव शिक्षा से संबंधित होता है। चतुर्थ भाव का स्वामी प्रथम भाव में स्थित हो तब जातक शिक्षित व्यक्ति होता है। जातक बुद्धिमान और चालाक होता है। जातक विद्वान भी हो सकता है। चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं के दशम भाव में स्थित है अतः जातक एक उत्तम शिक्षक हो सकता है। जातक अपनी शिक्षा की बदौलत अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

7) चतुर्थ भाव का स्वामी प्रथम भाव में स्थित हो तब जातक नैसर्गिक रूप से दूसरों को सिखाने में इंटरेस्टेड होता है।

8) चतुर्थ भाव जातक के मन से संबंधित होता है। प्रथम भाव जातक की मस्तिष्क से संबंधित है। प्रथम भाव में स्थित चतुर्थेश जातक को ऊर्जावान बनाता है। जातक बुद्धिमान व्यक्ति हो सकता है।

9) चतुर्थ भाव माता से संबंधित है। चतुर्थ भाव का स्वामी प्रथम भाव में स्थित हो तब जातक का अपनी माता से बहुत ज्यादा लगाव हो सकता हैं। लेकिन जातक की माता जातक की तुलना में उसके भाई बहनों को ज्यादा लगाव रख सकती है। जातक और जातक के माता के मध्य अच्छे संबंध होते हैं। जातक को अपनी माता का सुख भी प्राप्त होगा।

10) चतुर्थ भाव का स्वामी प्रथम भाव के स्वामी के साथ प्रथम भाव में स्थित है तब यह एक उत्तम राजयोग का निर्माण करता है। जातक धनी और समृद्ध हो सकता है। जातक के पास सभी प्रकार की सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध है। जातक को उत्तम घर, उत्तम वाहन, नौकर चाकर का सुख उपलब्ध होगा। जातक का स्वास्थ्य उत्तम होगा। जातक का चित्त स्थिर होगा। जातक आध्यात्मिक सफलता प्राप्त करेगा। जातक की मित्रता अच्छी होगी। जातक अपने रिश्तेदारों की सहायता प्राप्त करेगा।

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