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कुंडली के अष्टम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

कुंडली के अष्टम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

1)कुंडली के अष्टम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम चतुर्थ भाव और अष्टम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं के भाव से पंचम स्थान में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का पंचम भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) चतुर्थ भाव सुख का कारक होता है। अष्टम भाव मृत्यु का कारक होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब यह जातक के लिए शुभ नहीं माना जा सकता है। जातक को विभिन्न प्रकार के परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

3) चतुर्थ भाव माता का कारक भाव होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब यह माता के लिए शुभ नहीं माना जा सकता है।यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में पीड़ित हो तब जातक की माता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में बुरी तरह पीड़ित हो तब जातक की माता की मृत्यु की भी संभावना होती है।

4) चतुर्थ भाव मन से संबंधित होता है। अष्टम भाव भय से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक के मन में विभिन्न प्रकार के भय व्याप्त रह सकते हैं। जातक अनचाही और अनदेखी चीजों को लेकर भयभीत रह सकता है। जातक की मानसिक क्षमता अच्छी नहीं हो सकती।

5) चतुर्थ भाव शिक्षा से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं के भाव से पंचम भाव में स्थित हो और शुभ स्थिति में अर्थात अष्टम भाव में सुस्थित हो तब चतुर्थी जातक को अति उत्तम शिक्षा देता है। जातक रिसर्च से संबंधित विषयों में शिक्षा प्राप्त कर सकता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में पीड़ित हो या कारक बुध भी पीड़ित हो तब जातक अपने शिक्षा में विभिन्न प्रकार के परेशानियों का सामना करता है।

6) अष्टम भाव दुर्भाग्य का कारक भाव है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तो जातक विभिन्न प्रकार के दुर्भाग्य का सामना कर सकता है। जातक को अपने सुख में कमी का सामना करना पड़ सकता है या जातक को अपने सुख-सुविधा के साधन जुगाड़ करने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

7) चतुर्थ भाव प्रॉपर्टी से संबंधित होता है। यदि चतुर्थेश अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक को अपनी प्रॉपर्टी से रिलेटेड समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जातक को प्रॉपर्टी में विवाद का सामना करना पड़ सकता है। जातक को संपत्ति से संबंधित कानूनी मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक को अपनी पैतृक संपत्ति की प्राप्ति होती है।

8) चतुर्थ भाव वाहन से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक को वाहन से संबंधित परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जातक को वाहन दुर्घटना का भी सामना करना पड़ सकता है। यदि चतुर्थेश और कारक शुक्र कुंडली में पीड़ित हो, तब चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित होने के कारण जातक के वाहन दुर्घटना में मृत्यु की भी संभावना रहती है।

9) चतुर्थ भाव नवम भाव से अष्टम भाव है, अर्थात चतुर्थ भाव पिता की आयु से भी संबंधित हो सकता है। चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव से द्वादश भाव में स्थित होने के कारण जातक के पिता की आयु के लिए शुभ नहीं माना जा सकता है।

10) अष्टम भाव और चतुर्थ भाव में मोक्ष त्रिकोण है। चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तो जातक धार्मिक या आध्यात्मिक विचारधारा वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक अध्यात्म की ओर झुकाव रखने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक अध्यात्म के गुढ़ रहस्य के संदर्भ में जानकारी प्राप्त कर सकता है।

11) अष्टम भाव गुप्तांगों से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में हो तब जातक कामुक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। जातक अपनी सेक्सुअल पावर का व्यय कर सकता है।

12)चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक अपने व्यापार में सफलता नहीं प्राप्त करना है, क्योंकि जाति में रिस्क लेने की क्षमता नहीं होती है।

13) चतुर्थ भाव और अष्टम भाव एक दूसरे से नव पंचम संबंध बनाते हैं। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक को अपने जीवन में उत्तम सुख प्राप्त करता है। जातक आध्यात्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। जातक रिसर्च कार्य से संबंधित कार्यों में अपने जीवन को व्यय कर सकता है।

14) यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित तब जातक मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हो सकता है। जातक आसानी से काला जादू ,नजर लगना, हिंसक या बुरी शक्तियों के प्रभाव में आ जाता है।

15) यदि चतुर्थ भाव का स्वामी, अष्टम भाव के स्वामी के साथ, अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक अपने शिक्षा में कठिनाई का सामना करता है। साथ ही उसकी शिक्षा में ब्रेक लगने की भी संभावना होती है। जातक की मां स्वास्थ्य से संबंधित समस्या से पीड़ित तरह सकती है। जातक या जातक की मां लाइलाज बीमारी से पीड़ित रह सकती है। जातक संपत्ति में विवाद का सामना कर सकता है। जातक की वाहन दुर्घटना की संभावना हो सकती है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव शुभ स्थिति मे हो तब बुरे प्रभाव कम होंगे और जातक वैज्ञानिक या आध्यात्मिक व्यक्ति हो सकता है।

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