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कुंडली के दशम भाव में सूर्य का प्रभाव

कुंडली के दशम भाव में सूर्य का प्रभाव


1) कुंडली के दशम भाव में सूर्य के प्रभाव को जानने से पहले सर्वप्रथम हम सूर्य और दशम भाव के कारक के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।


2)सूर्य दशम भाव में बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि दशम भाव में सूर्य को दिग्बल की प्राप्ति होती है।


3) दशम भाव को कर्मस्थान माना जाता है । सूर्य के दशम भाव में विराजमान होने के कारण जातक को अपने सभी कार्यों में सफलता मिलती है। जातक मस्तिष्क से बुद्धिमान बहादुर और निडर प्रवृत्ति का होता है। जातक पिछले जन्मों की अच्छे कर्मों के कारण इस जन्म में सफलता प्राप्त करता है। जातक अपने मेहनत के दम पर सफलता प्राप्त करता है।


4) दशम भाव राज्य का कारक है। जब सूर्य दशम भाव में विराजमान हो तो जातक राजा बनता है या राजा की समान पर भी प्राप्त करता है। आज के इस आधुनिक युग में जातक राजनीतिज्ञ या अपने ग्राम शहर या राज्य का प्रधान बनता है। जातक धनी हो सकता है और उसके पास सभी प्रकार के सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध होंगे।


5) सूर्य सरकार या प्रशासन का कारक होता है । जब सूर्य दशम भाव में हो तो जातक सरकारी नौकरी मे या प्रशासनिक पद या मल्टीनेशनल कंपनी में एडमिनिस्ट्रेटिव पद पर हो सकता है। जातक सरकार या प्रशासन से लाभ या सहायता प्राप्त करेगा। जातक प्रमोशन प्राप्त करेगा या अपने कंपनी में प्रमुख पद प्राप्त करेगा।


6) सूर्य मेडिकल क्षेत्र का कारक ग्रह है, अतः दशम भाव में स्थित सूर्य जातक को मेडिकल क्षेत्र में प्रोफेशन या जीविका दे सकता है, जैसे फिजीशियन मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव आयुर्वेदिक डॉक्टर हॉस्पिटल दवा विक्रेता सर्जन इत्यादि।


7) सूर्य प्रसिद्धि का कारक ग्रह है, दशम भाव सामाजिक प्रसिद्धि का भाव है, अतः दशम भाव में स्थित सूर्य जातक को समाज में अच्छा नेम और फेम देगा। जातक का पिता प्रसिद्ध व्यक्ति हो सकते है। जातक के बॉस या जातक जिस कंपनी में काम करता है वह प्रसिद्ध हो सकता है। जातक की सामाजिक प्रतिष्ठा बहुत ही अच्छी होगी और वह दूसरों से आदर प्राप्त करेगा।


8) सूर्य पुत्र का नैसर्गिक कारक ग्रह है दशम भाव में स्थित सूर्य यदि उत्तम स्थिति में हो तो जातक को निश्चित ही पुत्र संतान होगा। जातक अपनी पैतृक संपत्ति को प्राप्त करेगा।


9) सूर्य इम्यूनिटी का नैसर्गिक कारक ग्रह है। दशम भाव में स्थित सूर्य जातक की इम्यूनिटी को अच्छा करता है जिसके कारण जातक उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त करता है । यदि दशम भाव में सूर्य उत्तम स्थिति में हो तो अपनी दशा अंतर्दशा में जातक के रोगों से मुक्ति दिलवा सकता है।

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