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कुंडली के द्वादश भाव में सूर्य का प्रभाव

कुंडली के द्वादश भाव में सूर्य का प्रभाव

1)कुंडली के द्वादश भाव में सूर्य के प्रभाव को जानने के लिए सर्वप्रथम हम सूर्य और द्वादश भाव के कारक के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) द्वादश भाव में सूर्य जातक को प्रसिद्ध और भाग्यशाली बनाता है। जातक की प्रसिद्धि जन्म स्थान से दूर के स्थलों में भी हो सकती है।

3) सूर्य पिता का कारक ग्रह है और यह द्वादश भाव में विराजमान है, अतः जातक का अपने पिता के साथ मतभेद या मत भी नेता या अलगाव की स्थिति बन सकती है। सूर्य द्वादश भाव में यदि उत्तम स्थिति में ना तब जातक के पिता की मृत्यु भी हो सकती है।

4) सूर्य नेत्र ज्योति का कारक ग्रह है अतःद्वादश भाव में स्थित सूर्य जातक को नेत्र संबंधित समस्या दे सकता है।

5)सूर्य मस्तिष्क का कारक ग्रह है अतः द्वादश भाव में स्थित सूर्य जातक को मस्तिष्क से संबंधित समस्या दे सकता है। जातक अनिंद्रा से संबंधित समस्या से परेशान रह सकता है। जाकर माइग्रेन से रिलेटेड समस्या से परेशान रह सकता है । जातक कब्ज से संबंधित समस्या से परेशान रह सकता है। जातक के अंग भंग की समस्या से परेशान रह सकता है । जातक शारीरिक सुखों में कमी का अनुभव करेगा।

6)द्वादश भाव का सूर्य व्यापार के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। जातक अपने व्यापार में आने से परेशान रह सकता है।

7) द्वादश भाव में स्थित सूर्य जातक को सरकार से या प्रशासन से परेशानी दे सकता है। जातक को सरकारी आदेश के कारण नुकसान का या धन की हानि का संभावना हो सकता है।

8)सूर्य आत्मा का कारक ग्रह है, द्वादश भाव मुक्ति या मोक्ष से संबंधित भाव है। अतः द्वादश भाव में स्थित सूर्य जातक को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अग्रसर कर सकता है। जातक एक आध्यात्मिक व्यक्ति होगा और वह धार्मिक कार्यों में रुचि रखता होगा तथा धार्मिक और अध्यात्म से संबंधित विषयों में उसकी बड़ी गहरी रुचि होगी। वह धार्मिक संस्थाओं में धर्म से संबंधित कार्य कर सकता है या धार्मिक संस्थाओं को दान दे सकता है। जातक दयालु प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। जातक का झुकाव रहस्य में विज्ञान की ओर हो सकता है।

9) जातक संकुचित विचारों का हो सकता है। जातक अपनी जीविका के लिए अनैतिक कार्यों में लिप्त हो सकता है । जातक अनैतिक विचारों वाला हो सकता है। जातक बहादुरी के कार्यों में सफलता नहीं प्राप्त करेगा, फिर भी जातक एक पावरफुल व्यक्ति हो सकता है।जातक के विचारों में विष भरा हो सकता है।

10) जातक शत्रु से घिरा हो सकता है और शत्रु जातक को परेशान कर सकते हैं। फिर भी जातक अपने सारे शत्रु को पर सफलता प्राप्त करेगा।

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