Astro Pankaj Seth

कुंडली के तृतीय भाव में चंद्रमा का प्रभाव

कुंडली के तृतीय भाव में चंद्रमा का प्रभाव


1) कुंडली के तृतीय भाव में चंद्रमा का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम चंद्रमा और तृतीय भाव के कारक के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।


2) तृतीय भाव छोटा भाई, छोटी यात्राएं, कम्युनिकेशन, संवाद और खुद की क्षमता का कारक होता है। चंद्रमा आदर, यात्रा, अनुमान, इमैजिनेशन इत्यादि का कारक होता है।


3) तृतीय भाव शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता का कारक भाव है। चंद्रमा तृतीय भाव में जातक को अच्छी शारीरिक क्षमता और शारीरिक बनावट वाला व्यक्ति बनाता है । जैसा कि हम जानते हैं चंद्रमा एक स्त्री कारक ग्रह है अतः जातक बहुत कठिन शारीरिक मेहनत करना पसंद नहीं करता है। जातक आरामदेह जीवन जीना पसंद करता है। जातक बहादुर होता है। जातक की मानसिक क्षमता अच्छी होती है लेकिन यह अस्थिर प्रवृत्ति का होता है।


4) चंद्रमा एक स्त्री ग्रह है, अतः तृतीय भाव में स्थित चंद्रमा जातक को छोटी बहन देता है । अच्छा चंद्रमा तृतीय भाव में जातक के छोटे भाई बहन को अच्छी सफलता दिलाता है। वे सुखी होंगे, अपने व्यापार में या नौकरी में अच्छी सफलता प्राप्त करेंगे। वे अच्छा धन अर्जित करेंगे । जातक अपने छोटे भाई बहनों से आदर प्राप्त करेगा और उनका अच्छी तरह से ख्याल रखेगा। यदि चंद्रमा तृतीय भाव में पीड़ित हो तब जातक अपने भाई बहन से ईष्या का भाव रखेगा।


5)तृतीय भाव में स्थित चंद्रमा संवाद के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। जातक दूसरों से संवाद में परेशानी महसूस करेगा या उसे दूसरों से संवाद स्थापित करने में कठिनाई होगी। जातक कम बोलने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक की कल्पना शक्ति बहुत अच्छी होती है और वह कल्पना से संबंधित कार्यों में अच्छी सफलता प्राप्त करेगा।


6) तृतीय भाव छोटी यात्राएं से संबंधित होता है, चंद्रमा तृतीय भाव में जातक को बहुत ज्यादा छोटी छोटी यात्राएं करवाने में सक्षम होता है। जातक यात्रा करना पसंद करता है या जातक किसी ऐसे प्रोफेशन में होता है जिसमें जातक को बहुत ज्यादा यात्राएं करनी पड़ सकती है।


7) तृतीय भाव चतुर्थ भाव से द्वादश स्थान है अतः यदि चंद्रमा तृतीय भाव में पीड़ित हो तब यह माता के लिए अच्छा नहीं माना जाता है । जातक को अपनी माता का सुख कम होगा या जातक अपनी माता से दूर रह सकता है या जातक के माता को स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।


8) तृतीय भाव काम त्रिकोण होता है अतः तृतीय भाव में स्थित चंद्रमा जातक को कामुक प्रवृत्ति का बनाता है।


9)तृतीय भाव में स्थित चंद्रमा जातक को व्यापार में सफलता दिलाता है। लेकिन जातक का व्यापार अस्थिर प्रवृत्ति का हो सकता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *