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कुंडली के चतुर्थ भाव में शनि का प्रभाव


कुंडली के चतुर्थ भाव में शनि का प्रभाव


1)कुंडली के चतुर्थ भाव में शनि का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम चतुर्थ भाव और शनि के कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।


2) शनि नैसर्गिक रूप से पापी ग्रह है और चतुर्थ भाव में स्थित शनि अशुभ माना जाता है। अतः चतुर्थ भाव में स्थित शनि का अध्ययन बहुत ही गहराई के साथ करना चाहिए। उत्तम अवस्था में स्थित शनि अपने बुरे प्रभाव को कम करता है, परंतु पीड़ित और बुरी स्थिति में स्थित शनि जातक के जीवन को नर्क के समान बना सकता है।


3) चतुर्थ भाव माता का भाव होता है। शनि चतुर्थ भाव में स्थित होकर जातक और माता के बीच संबंध में खटास लाता है। जातक अपनी माता से बहुत ज्यादा लगाव नहीं रखेगा। साथ ही चतुर्थ भाव में स्थित शनि जातक के माता के स्वास्थ्य के लिए भी उत्तम नहीं माना गया है। यदि चतुर्थ भाव में स्थित शनि पीड़ित हो तब यह माता की मृत्यु का भी कारण हो सकता है।


4) चतुर्थ भाव मन का कारक भाव होता है अतः चतुर्थ भाव में स्थित शनि जातक के मन पर बुरा प्रभाव डालता है। जातक लेजी स्वभाव का हो सकता है। जातक मानसिक तनाव से परेशान रह सकता

है। जातक अस्थिर चित्त का हो सकता है जातक के मन में बुरे प्रभाव और बुरे ख्याल आते रहते होंगे।
5) चतुर्थ भाव सुख का भाव है और शनि एक नैसर्गिक पापी ग्रह होने के कारण सुख के लिए शुभ नहीं है। जातक जीवन में कई तरह के परेशानियों और कठिनाइयों का सामना करेगा। जातक के अपने रिश्तेदार और परिवार के साथ मतभेद हो सकते हैं। जातक को वाहन का सुख होगा परंतु वह वाहन से संबंधित समस्या का सामना करेगा। यदि चतुर्थ भाव में स्थित शनि अपनी उच्च की राशि और मूल त्रिकोण राशि में हो तब जातक को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होंगे।


6) चतुर्थ भाव में स्थित शनि के कारण जातक अपने बाल्यावस्था में स्वास्थ्य से संबंधित समस्या से परेशान रहेगा। लेकिन बाल्यावस्था के बाद जातक के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार होने की संभावना रहती है। है।


7) चतुर्थ भाव को हृदय का कारक भाव माना गया है और हृदय का कारक सूर्य होता है। शनि सूर्य का नैसर्गिक शत्रु है। अतः चतुर्थ भाव में स्थित शनि जातक को हृदय से संबंधित रोग दे सकता है। चतुर्थ भाव फेफड़ों का भी कारक भाव होता है। अतः चतुर्थ भाव में स्थित शनि जातक को फेफड़ों से संबंधित समस्या भी दे सकता है। जातक कफ और कोल्ड जैसी समस्या से पीड़ित रह सकता है।


8) चतुर्थ भाव में स्थित शनि जातक को अपने पिता से उत्तम संबंध नहीं देता है। जातक के पैतृक संपत्ति में विवाद हो सकता है। जातक के अपने पिता के साथ मतभेद हो सकते हैं। जातक यह अपनी पैतृक संपत्ति को प्राप्त नहीं करेगा या प्राप्त करने पर भी अपनी पैतृक संपत्ति का सुख नहीं भोग पाएगा।


9) चतुर्थ भाव पब्लिक का भाव होता है अतः चतुर्थ भाव में स्थित शनि के कारण जातक कमजोर तबके के जनता के बीच प्रसिद्ध होता है और जातक उनके सहयोग से राजनीति में अच्छी सफलता प्राप्त करता है।

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