Astro Pankaj Seth

कुंडली के तृतीय भाव में केतु का प्रभाव

कुंडली के तृतीय भाव में केतु का प्रभाव

1)कुंडली के तृतीय भाव में केतु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम केतू और तृतीय भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) तृतीय भाव में स्थित केतु के कारण जातक बहादुर और निडर प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक की शारीरिक और मानसिक क्षमता उत्तम होती है। तृतीय भाव में स्थित केतु के कारण जातक अपनी क्षमता को लेकर पैनिक करता है। जातक के नॉलेज में यदि अपनी कोई कमजोरी आ जाए, तो उसको लेकर वह डर का अनुभव करता है।

3) तृतीय भाव में स्थित केतु के कारण जातक सक्रिय प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक एक अच्छा खिलाड़ी हो सकता है। जातक के बेखौफ अंदाज के कारण उसके शत्रु भी उसे भय खाते हैं।

4)तृतीय भाव में स्थित केतु जातक के भाई के लिए शुभ नहीं माना जाता है। जातक और जातक के भाई के बीच विवाद हो सकता है। जातक अपने भाई के साथ अलगाव की स्थिति का सामना कर सकता है। यदि तृतीय भाव में स्थित केतू पीड़ित हो तब जातक के भाई को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या या मृत्यु का भी सामना करना पड़ सकता है।

5) तृतीय भाव में स्थित केतु के कारण जातक को बहुत सारी छोटी या लंबी यात्राएं करनी पड़ सकती है। जातक के विदेश की यात्रा की भी संयोग होते हैं।

6) तृतीय भाव में स्थित केतु के कारण जातक रुखा वचन बोलने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक अपने वचन पर स्थिर नहीं रह सकता है। जातक एग्रेसिव तरीके से बातचीत कर सकता है।

7) तृतीय भाव में स्थित केतु के कारण जातक मानसिक रूप से अस्थिर प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। जातक किसी भी विषय को आसानी से नहीं समझेगा या गलत समझ सकता है। अगर हम साधारण भाषा में बोले तो जातक किसी भी बात को मिसअंडरस्टूड कर सकता है। जातक मानसिक तनाव का सामना करता है।

8) तृतीय भाव में स्थित केतु जातक को प्रसिद्धि दे सकता है जातक अपनी शारीरिक क्षमता और दम पर अच्छा धन अर्जित करेगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *