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कुंडली के द्वितीय भाव में सप्तमेश का प्रभाव

कुंडली के द्वितीय भाव में सप्तमेश का प्रभाव

1)कुंडली के द्वितीय भाव में सप्तमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम सप्तम भाव और द्वितीय भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। सप्तम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से अष्टम स्थान में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का अष्टम भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) द्वितीय भाव धन का कारक भाव होता है, सप्तम भाव जीवन साथी का कारक भाव होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में स्थित हो तब जातक अपनी पत्नी की सहायता से धन प्राप्त करता है। जातक की पत्नी कामकाजी महिला हो सकती है। जातक को विवाह उपरांत धन की प्राप्ति हो सकती है। जातक स्त्री से संबंधित कार्य से धन अर्जित करता होगा। जातक को स्त्री की सहायता से धन प्राप्त हो सकता है। जातक अपनी पत्नी के उत्तराधिकारी के रूप में भी धन की प्राप्ति कर सकता है। जातक की आर्थिक स्थिति विवाह उपरांत समृद्ध होगी।

3)सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में स्थित हो तो जातक कामुक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। जातक के एक से ज्यादा संबंध हो सकते हैं। द्वितीय भाव जातक के संस्कार से संबंधित होता है। सप्तम भाव काम त्रिकोण से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में स्थित हो तब तब जातक सेक्स से संबंधित मामलों में समाज के नियम कानून को नहीं मानता है। जातक का चरित्र उत्तम नहीं हो सकता है। जातक की एक से ज्यादा विवाह की भी संभावना होती है।

4) सप्तम भाव और द्वितीय भाव दोनों मारक भाव होते हैं। यदि सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में स्थित हो तब यह प्रबल मारक बन जाता है। जातक स्वास्थ्य से संबंधित समस्या से पीड़ित रह सकता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में पाप ग्रहों के प्रभाव में हो तब यह जातक की मृत्यु का भी कारण बन सकता है।

5) द्वितीय भाव सप्तम भाव से अष्टम भाव होता है। अतः यह जातक के जीवन साथी की आयु का कारक भाव हो सकता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में पीड़ित हो तब यह जातक की पत्नी की मृत्यु का कारण हो सकता है। सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में स्थित हो तब यह अलगाव या तलाक का भी कारण हो सकता है।

6) सप्तम भाव विदेशी भूमि या जन्म स्थान से दूर या सुदूर स्थान से संबंधित होता है। द्वितीय भाव धन का कारक भाव होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव मे स्थित हो तब जातक धन अर्जित करने के लिए विदेश या जन्म स्थान से बहुत दूर के स्थान में जा सकता है। सप्तम भाव पार्टनरशिप बिजनेस से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में स्थित हो तब जातक पार्टनरशिप से धन अर्जित कर सकता है।

7) सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में स्थित हो तो जातक आंखों, मुंह या दांतों की समस्या से पीड़ित रह सकता है।

8) यदि सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव के स्वामी के साथ द्वितीय भाव में स्थित हो तब जातक को विवाह उपरांत उत्तम उत्तम धन की प्राप्ति होती है या जातक की आर्थिक स्थिति में विवाह के उपरांत सुधार आता है। जातक अपने पार्टनरशिप बिजनेस में अच्छी सफलता प्राप्त करता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में पीड़ित हो तब यह एक प्रबल मारक बन जाता है। साथ ही यह तलाक या अलगाव का कारण भी हो सकता है।

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