कुंडली के नवम भाव में नवमेश का फल | वैदिक ज्योतिष
जानिए कुंडली के नवम भावम में नवमेश के फल। धर्म, भाग्य, शिक्षा, पैतृक संपत्ति, पिता का सहयोग, संतान सुख, विदेश यात्रा और यश-कीर्ति।
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जानिए कुंडली के नवम भावम में नवमेश के फल। धर्म, भाग्य, शिक्षा, पैतृक संपत्ति, पिता का सहयोग, संतान सुख, विदेश यात्रा और यश-कीर्ति।
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कुंडली के नवम भाव में अष्टमेश का प्रभाव 1)कुंडली के नवम भाव में अष्टमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम अष्टम भाव और नवम भाव के नैसर्गिक कार्य के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। अष्टम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से द्वितीय स्थान में स्थित है अतः प्रथम भाव के स्वामी का द्वितीय
कुंडली के नवम भाव में सप्तमेश प्रभाव 1) कुंडली के नवम भाव में सप्तमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम सप्तम भाव और नवम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करते हैं। सप्तम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से तृतीय स्थान में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का
कुंडली के नवम भाव मे षष्ठेश का प्रभाव 1) कुंडली के नवम भाव में षष्ठेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम नवम भाव और षष्टम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। छठा भाव का स्वामी स्वयं के भाव से चतुर्थ भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का
कुंडली के नवम भाव में पंचमेश का प्रभाव 1) कुंडली के नवम भाव में पंचमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम पंचम भाव और नवम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। पंचम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से पंचम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का
कुंडली के नवम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव 1)कुंडली के नवम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम नवम भाव और चतुर्थ भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं के भाव से छठे स्थान में है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का छठे भाव
कुंडली के नवम भाव में तृतीयेश का प्रभाव 1)कुंडली के नवम भाव में तृतीयेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम तृतीय भाव और नवम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। तृतीय भाव का स्वामी स्वयं के भाव से सप्तम भाव में स्थित है। अतः प्रथम भाव के स्वामी का सप्तम
कुंडली के नवम भाव में द्वितीयेश का प्रभाव 1)कुंडली के नवम भाव में द्वितीयेश का प्रभाव जानने से पहले हम नवम भाव और द्वितीय भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। द्वितीय भाव का स्वामी स्वयं के भाव से अष्टम स्थान में स्थित है। अतः प्रथम भाव के स्वामी का अष्टम भाव
कुंडली के नवम भाव में लग्नेश का प्रभाव 1)कुंडली के नवम भाव में लग्नेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम प्रथम भाव और नवम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। 2) नवम भाव भाग्य का कारक भाव है। यदि लग्नेश नवम भाव में स्थित हो तब जातक जन्म से ही
कुंडली के नवम भाव में केतु का प्रभाव 1) कुंडली के नवम भाव में केतु के प्रभाव को जानने के लिए सर्वप्रथम हम नवम भाव और केतु के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। 2) नवम भाव को पिता का कारक भाव माना जाता है। केतु एक पापी ग्रह है, अतः नवम भाव