कुंडली के छठे भाव में अष्टमेश का प्रभाव
1)कुंडली के छठे भाव में अष्टमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम अष्टम भाव और छठे भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करते हैं। अष्टम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से एकादश स्थान में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का एकादश भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करते हैं।
2) अष्टम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब विपरीत राजयोग का निर्माण करता है। अष्टम भाव का स्वामी छठे भाव में उत्तम माना जा सकता है, परंतु इसके लिए छठे भाव पर किसी भी शुभ ग्रह का प्रभाव नहीं होना चाहिए। अष्टम भाव के स्वामी और छठे भाव पर नैसर्गिक पापी ग्रह का प्रभाव विपरीत राजयोग के प्रभाव में वृद्धि करता है। विपरीत राजयोग के फलस्वरूप जातक को धन प्रसिद्धि और इच्छापूर्ति का योग बनता है।

3) अष्टम भाव और छठा भाव दोनों उपचय हाउस होता है। यदि अष्टम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब यह अष्टम भाव और छठे भाव दोनों के नैसर्गिक कारक में वृद्धि करता है। अष्टम भाव आयु का कारक होता है अतः जातक दीर्घायु होगा। छठा भाव रोग बीमारी इत्यादि का कारक होता है और अष्टम भाव लाइलाज बीमारी का कारक भाव होता है। अतः जातक लंबी चलने वाली बीमारी या लाइलाज बीमारी से ग्रसित हो सकता है। तात्पर्य है कि जातक दीर्घायु तो होगा परंतु उसे विभिन्न प्रकार की बीमारियां परेशान कर सकती है।
4) छठा भाव शत्रु का कारक भाव होता है। यदि अष्टम भाव का स्वामी छठा भाव में स्थित हो तब जातक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। साथ ही जातक के बहुत सारे गुप्त शत्रु भी होते हैं जो जातक को परेशान कर सकते हैं। जातक आरोप-प्रत्यारोप या बदनामी से परेशान रह सकता है। लेकिन जातक इन सब पर विजय प्राप्त करता है। जातक बहादुर और निडर व्यक्ति होगा, परंतु उसका दु:साहसिक व्यवहार जातक के जीवन में परेशानी खड़ी कर सकता है। जातक विष या इससे जनित रोग से परेशान रह सकता है।
5) अष्टम भाव का स्वामी यदि छठे भाव में पीड़ित हो तब जातक के शत्रु जातक को परेशान करते हैं। जातक के बहुत सारे छिपे हुए शत्रु भी होते हैं जो जातक के जीवन में गुप्त तरीके से परेशानियां खड़ी करते रहते हैं। जातक को अपने व्यापार में या अपने प्रोफेशन में नुकसान उठाना पड़ सकते हैं। जातक के जीवन में अनचाही घटनाओं जैसे चोरी, आग लगना, डकैती, दुर्घटना इत्यादि के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
6) यदि अष्टम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो और शुभ स्थिति में हो तब, जातक को अचानक धन लाभ की संभावना होती है। जातक को अपने व्यापार और प्रोफेशन में अचानक से तरक्की मिल सकती है। जातक को अच्छा धन और प्रसिद्धि प्राप्त होती है। जातक अप्रत्याशी रूप से और गैरजरूरी कारणों के कारण प्रसिद्धि प्राप्त कर सकता है।
7) यदि अष्टम भाव का स्वामी छठे भाव के स्वामी के साथ छठे भाव में स्थित हो तब यह विपरीत राजयोग का निर्माण करता है। जातक को अपने जीवन में अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त होती है। जातक को अच्छा धन भी प्राप्त होता है। जातक अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करता है और जातक को सभी प्रकार के सांसारिक सुख सुविधा प्राप्त होती है।
Very nice explanation. My 8th guru is in 6th h with shukra and Surya. Taurus lagna.
Thnx a lot.
May god bless u.